शनिवार, 2 अक्तूबर 2010

दिल चाहता है



दिल चाहता है

कितनी नशीली आंखे है तेरी
इनमे डूब जाने को दिल चाहता है ।

दिल नही लगता कहीं भी
तुझसे मिलने को दिल चाहता है ।

रह ना सकेंगे तेरे बगैर
सारे ज़माने को दुश्मन बनाने को दिल चाहता है ।

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