सोमवार, 31 अक्तूबर 2011

वो मुझे देखती थी ज़ब भी


वो मुझे देखती थी ज़ब भी
हंसती, मुस्काती रहती थी ॥
ज़ाने क्या सोचा करती थी
हरदम इठलाती रहती थी ॥
ज़ब हुआ परेशां मै थोडा
फ़िर मै उसके नज़दीक गया ॥
पूछा उससे सीधे मैने
क्यो ऐसे करती रहती हो ॥
ना बोली वो कुछ भी मुझसे
आंखो से सब कुछ कह दिया ॥
मेरे अंदर भी मौन हुआ
नज़रों ने ऐसा ज़ादू किया ॥

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