शनिवार, 12 नवंबर 2011

स्वीटी - सिर्फ तुम


स्वीटी,

सिर्फ़ एक याद बनकर रह गई हो तुम । हम तो तुम्हारी यादों को इस दिल से लगाए बैठें है । आखिर कब तक इस दिल को यूं ही तडपना होगा तुम्हें याद करके ।

लोग कहते है एक बार शराब चख लो, सारे गम भूल जाओगे । और जो नही पीता, उसे पिलानें वाले भी बहुत मिलते है । लेकिन तुम्हारा ख्याल करते ही बस यही सोचता हूं कि जिसने तुम्हारी आंखों की शराब को चख लिया, उसके लिए कोई नशा बाकी ना रहा । और फिर वो नादान क्या ज़ानें कि……

" ज़ाम छूते ही आता है ख्याल मेरे दिल मे,
तौहीन ना हो ज़ाए कही उनकी निंगाहो की "

एक ही तमन्ना है इस दिल की । बस एक बार दीदार हो जाए उनका, तो इस दिल को सुकून मिल जाएगा । अब तो एक ही गुजारिश करते है…………

" मज़बूर करके मेरे दिल को यार ले चलो
उसकी गली मे फ़िर मुझे इक बार ले चलो "

उम्मीद तो नही है कि उनसे मुलाकात होगी । लेकिन खुदा इतना भी बेरहम नही हो सकता । कभी-ना-कभी, कहीं-ना-कहीं तो वो ज़रूर मिलेंगी इन नज़रों को ।

अब तो बस तुम्हारी यादों के सहारें ही ज़िंदगी कट रही है । ऐसा कोई पल नही, जब तुम्हारी याद इस दिल को ना छूती हो । कभी तुम्हारी बातें, कभी तुम्हारी यादें । बस यूं ही कट जाएगी ये ज़िंदगी अब तुम्हारी यादों के साथ…………

" और तो कौन है ज़ो मुझको तसल्ली देता
हाथ रख देती है दिल पे तेरी बातें अकसर "

हमारा क्या है ? तुम्हारा प्यार ना मिला तो ना सही, तुम्हारा दिया हुआ गम ही कफ़ी है ज़िंदगी गुज़ारनें के लिए ।

ना तुम मुझे समझ पाई, ना मेरे प्यार को । अगर एक को भी समझ लिया होता, तो खुदा कसम तुम्हारे कदम ही ना उठते मुझसे दूर जानें के लिए । लेकिन इस बेरहम किस्मत का क्या करें । जब किस्मत ने ही ना चाहा, तो क्या करेगा दीवाना ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें