रविवार, 1 जुलाई 2012

याद करते है तुम्हे आहो में ।



याद करते है तुम्हे आहो में ।
काश तुम भी होते हमारी बाहों में ॥
ज़ो चाहा वो तो मिल नही पाया ।
और तुम रह गए सिर्फ़ हमारी निगाहो में ॥

कभी याद जो तेरी आती है



कभी याद जो तेरी आती है,
आंखे सागर बन जाती है । 
भटका जाता हूं गलियों में,
फ़ूलो-बागों मे, कलियों में । 
क्या कहता है ये दिल मेरा,
क्यूं रोता है ये दिल मेरा । 
जब दर्द गुजर हद से जाता,
तेरी गलियों में हूं आता । 
दीदार करा दे गर मुझको,
मै जान भी दे दूंगा तुझको । 
मेरे बारे मे कुछ सोच जरा,
मेरे अश्कों को तू पोंछ जरा । 
मेरे दिल की एक तमन्ना है,
मुझे तेरा चेहरा बनना है ।