शुक्रवार, 19 अक्तूबर 2012

जब तुम मुझसे मिलती हो ।


जब तुम मुझसे मिलती हो ।
मेरि अंखियों में खिलती हो ॥
नज़रे नज़रों से मिलती है ।
फ़ूलों में कलियां खिलती है ॥
आंखों को सुकून आ जाता है ।
मुझपे सुरूर छा जाता है ॥
मै तुझ में ही खो जाता हूं ।
तेरी ओर मुडा चला आता हूं ॥
ये लब कुछ कहना चाहते है ।
तुझे देख मौन हो जाते है ॥
जाने कब राते होती है ।
आंखों से बाते होती है ॥
तुम जाने को जब कहती हो ।
मुझपे उदासी छा जाती है ॥
मिलने का वादा करती हो ।
मुस्कान मुझे छू जाती है ।।

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