शुक्रवार, 30 नवंबर 2012

तोड ना दूं यकीं तेरा


तोड ना दूं यकीं तेरा, इस डर से,
ना निकल पाया मै अपने घर से ।
तमन्ना-ए-मुलाकात-ए-आरज़ू लेकिन,
लौट गया वापस मै तेरे दर से ।
जाता हूं सहम मै दिल ही दिल में,
सोचता हू रिश्ता जोडना जब पर* से ।
जाता दूर तुमसे पल भर के लिए भी,
बिंध जाता सीना मेरा अंजान शर** से ।
नही चाहिये मुझे दौलत-औ-शौहरत,
मिल जाता सुकून फ़कत^ तेरी खबर से ।
जिंदगी जीने को वो पल ही काफ़ी थे,
जब तुमने जी भरके देखा मुझको नज़र से ।
रुसवाई-औ-बेवफ़ाई करो शौक से मगर,
ना कभी भी दूर करना अपने जिगर से ।
-  'अंकित'

------------
 *पर- पराया,  **शर- बाण, तीर, ^ फ़कत- केवल

मंगलवार, 27 नवंबर 2012

दीये से रोशनी की


दीये से रोशनी की चाहत है फकत 
सूरज की किरणों से मुहब्बत नहीं मुझे 
प्यार मेरा सिमट गया महबूब तक मेरे 
सारे जहां की अब ज़रूरत नहीं मुझे 
- 'अंकित '

रविवार, 11 नवंबर 2012

अश्कों को पलकों से


अश्कों को पलकों से निकलने की चाहत भी नही है ।
तेरे लिए मेरे प्यार की, कीमत भी नही है ॥
जो छूट गए पलकों से, तो जाएंगे कहां
उस दर्द मे सिमटने की अब आदत भी नही है ॥


सोमवार, 5 नवंबर 2012

रविवार, 4 नवंबर 2012

शनिवार, 3 नवंबर 2012

हम दिल लगा बैठे


हम दिल लगा बैठे उनकी तस्वीर देखकर ।
खुदा जाने क्या देगा मेरी तकदीर देखकर ।।
मांगी है मन्नते हज़ार पाने की उनको ,
उन्हें शायद आ जाए प्यार, मेरी तहरीर देखकर ।।

शुक्रवार, 2 नवंबर 2012

गुरुवार, 1 नवंबर 2012

जब मेरा दिल धड़कता है


जब मेरा दिल धड़कता है ,
तेरी ही याद आती है । 
मेरी धड़कन को सुनते ही ,
क्यों मुझसे रूठ जाती है। 
तमन्ना एक है दिल में ,
 कि तुझको पा लू कैसे भी ,
तू ना ओझल हो नजरो से ,
ये साँसे छूट जाती है ।