मंगलवार, 1 जनवरी 2013

निगाहों में जिसे सजाकर


निगाहों में जिसे सजाकर रखा था 'नक्षत्र' कभी
अश्को के बहाने निकल गए वो बूँद-बूँद करके 

-अंकित  कुमार 'नक्षत्र '

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें