तुम मेरी जिंदगी मे आई क्यों थी ।
परछाई बनकर मेरे दिल मे समाई क्यों थी ॥
दूर जाना ही था मुझसे अगर,
तो, नजरे तुमने मुझसे लडाई क्यों थी ॥
निभाने की हिम्मत नही थी अगर ।
तो, वो झूठी कसमें खाई क्यों थी ॥
अपनी मौहब्बत से जिसे तुम ना बुझा सकी ।
आग ऐसी मेरे दिल मे लगाई क्यों थी ॥
-अंकित कुमार 'नक्षत्र'
ham jante hai shyad apka dil tuta hai kahi, tabhi ap etna, dil ko choo lene wala ahsas shabdo m likh pate hai. aur yakin maniye ham bahut kadra karte hai...
जवाब देंहटाएंapki khushboo