अश्कों में भीगना पडा मुझे ,
जब तुझको छोडना पडा मुझे ।
दो आंख लडी थी क्या तुमसे ,
सब नाता तोडना पडा मुझे ।
दूं दर्द तुझे तो दूं कैसे ,
दिल खुद का तोडना पडा मुझे ।
रखकर पत्थर दिल पर अपने ,
मुंह तुझसे मोडना पडा मुझे ।
छिपकर सुनसान अंधेरों में,
गम से नाता जोडना पडा मुझे ।
-अंकित कुमार 'नक्षत्र'
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