शनिवार, 16 फ़रवरी 2013

इक बच्चे की मुस्कान का


इक बच्चे की मुस्कान का जो समझ सके ना मोल
ना कह पाए ना सुन पाए दो प्यार के मीठे बोल 
क्या कीमत इनकी बातो की क्या इनकी खुद की हस्ती है 
कुछ टुकड़े इनके सम्मुख हो तो जाते है ये डोल 

-'अंकित कुमार नक्षत्र'

[
Ek bachche ki muskaan ka jo samajh sake na mol.
na keh paaye na sun paaye do pyar ke meethe bol
kya keemat inki bato ki kya inki khud ki hasti hai
kuch tukde inke sammukh ho to jaate hai ye dol.

-ankit kumar 'nakshatr'
 

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